Uber और Ola को चुनौती: पारदर्शी, न्यायपूर्ण और ड्राइवर केन्द्रित मॉडल सहकार टैक्सी
नई दिल्ली। अब निजी टैक्सी सेवाओं को सरकार की ‘सहकार टैक्सी’ सेवा टक्कर देगी। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 के उद्घाटन के दौरान बताया कि इस साल के अंत तक शहरों में सहकारी मॉडल पर आधारित टैक्सी सेवा शुरू की जाएगी। इसका पूरा लाभ ड्राइवर को मिलेगा। यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ विजन के तहत तैयार की गई है। इसके जरिए न केवल युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि 2034 तक सहकारिता क्षेत्र के जीडीपी में योगदान को तीन गुना तक बढ़ाने का लक्ष्य भी तय किया गया है। इस नीति के तहत आने वाले सहकार टैक्सी मॉडले के लागू होने से निजी सेवाओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
बढ़ेगी Ola-Uber की मुश्किल
सहकार टैक्सी सेवा के शुरू होने से ओला और उबर जैसी निजी राइड-हेलिंग कंपनियों के सामने कड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है। माना जा रहा है कि सहकारी मॉडल के तहत यात्रियों को कम दरों पर बेहतर सेवाएं मिलेंगी। वहीं, ड्राइवरों को पूरा लाभ मिलेगा, क्योंकि इस मॉडल में बिचौलियों या भारी कमीशन कटौती की संभावना नहीं होगी। वर्तमान में कई ड्राइवर निजी कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले ज्यादा कमीशन और मनमाने किराए की शिकायत करते हैं। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह सहकार टैक्सी प्लेटफॉर्म किस प्रकार से संचालित होगा।
दुनिया में पहली बार
केंद्र सरकार की सहकारी टैक्सी प्लेटफॉर्म के लागू होने पर, भारत दुनिया का पहला ऐसा राष्ट्र बन जाएगा, जहां निजी राइड-हेलिंग सेवाओं के लिए एक सरकार समर्थित सहकारी विकल्प उपलब्ध होगा। फिलहाल दुनिया के किसी अन्य देश में ऐसी कोई सहकारी टैक्सी सेवा मौजूद नहीं है। भारत में सहकारी संस्थाओं की लंबी और सफल परंपरा रही है, जिसका प्रमुख उदाहरण “अमूल” है। अमूल ने भारत को न केवल विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाया, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर आठवीं सबसे बड़ी डेयरी कंपनी का दर्जा भी दिलाया।
50 करोंड़ लोगों को सहकारिता से जोड़ने का लक्ष्य
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को अक्षय ऊर्जा भवन में इस नीति की शुरुआत करते हुए कहा कि साल 2020 से पहले सहकारिता क्षेत्र को खत्म मान लिया गया था, लेकिन अब इसका भविष्य उज्ज्वल है। नई नीति के जरिए 2025 के अंत तक 50 करोड़ लोगों को सहकारिता से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे उन्हें सक्रिय सदस्य बनाया जा सकेगा। यह रोजगार सृजन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सरकार का उद्देश्य है कि साल 2034 तक सहकारिता क्षेत्र का जीडीपी में योगदान तीन गुना बढ़ाया जाए।
सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में बनी नीति
इस नीति को तैयार करने का काम पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की अगुवाई वाली 40 सदस्यीय समिति ने किया। इस समिति ने विशेषज्ञों, नेताओं और शिक्षाविदों से विचार-विमर्श कर नीति का प्रारूप तैयार किया और इसे अंतिम रूप देने से पहले आरबीआई और नाबार्ड जैसी संस्थाओं के साथ बैठकें कीं।
गांव-गांव में मिलेंगी सुविधाएं
नीति (Cooperative Policy 2025) के तहत हर गांव में खुलने वाली प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के जरिए अब दवाइयां, डीजल-पेट्रोल और गैस सिलेंडर जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी। 4108 पैक्स को जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति मिल चुकी है, जबकि 393 ने पेट्रोल-डीजल के आउटलेट्स और 100 से ज्यादा ने एलपीजी वितरण के लिए आवेदन किया है।
नई नीति की मुख्य बातें
हर दस सालों में सहकारिता कानूनों में जरूरी संशोधन की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी। सहकारी संस्थाओं द्वारा उत्पादित चीजों के निर्यात को प्रोत्साहित किया जाएगा और इसके लिए एक मजबूत ढांचा तैयार किया जाएगा। वर्तमान में मौजूद लगभग 8.3 लाख सहकारी समितियों की संख्या में 30 प्रतिशत तक वृद्धि की जाएगी। प्रत्येक पंचायत स्तर पर कम से कम एक प्राथमिक सहकारी संस्था की स्थापना की जाएगी। सहकारी समितियों के लिए क्लस्टर आधारित प्रणाली और खास तंत्र विकसित किया जाएगा। कम्प्यूटरीकरण से कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा। प्रत्येक पंचायत स्तर पर कम से कम एक प्राथमिक सहकारी संस्था की स्थापना की जाएगी। सहकारी समितियों के लिए क्लस्टर आधारित प्रणाली और खास तंत्र विकसित किया जाएगा। कम्प्यूटरीकरण से कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा।