डीआरडीओ ग्वालियर में बनाएगा देश की सबसे अत्याधुनिक लैब
डीआरडीओ चेयरमैन ने रखी आधारशिला, बैक्टीरिया और वायरस पर होगा शोध
ग्वालियर। भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) देश की सबसे अत्याधुनिक लैब ग्वालियर में बनाएगा। यह जैविक और रासायनिक खतरों से निपटने में मदद करेगी। यह लैब इंटरनेशनल पैरामीटर्स पर आधारित, बायो सेफ्टी लेवल-4 (बीएसएल-4) सुविधाओं से लैस होगी। इस लैब में रक्षा महत्व से जुड़े बैक्टीरिया और वायरस पर शोध किया जा सकेगा।
डीआरडीओ चेयरमैन और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव ने ग्वालियर के महाराजपुर डांग परिसर में इस लैब की आधारशिला रखी। उन्होंने ग्वालियर में बने बायो-डिटेक्टर, टेस्ट एंड एवैल्युएशन फैसिलिटी (बीडीटीईएफ) का भी उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि हम तेजी से बदलती हुई दुनिया में रह रहे हैं, जिसमें रासायनिक और जैविक खतरों की आशंका बढ़ गई है। कोविड महामारी जैसे संकट भविष्य में फिर से सामने आ सकते हैं। पीएम मोदी ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है, और इसके लिए हमें रासायनिक और जैविक रक्षा में आत्मनिर्भरता हासिल करनी होगी।
डीआरडीओ चेयरमैन ने कहा कि ग्वालियर का यह नया बीएसएल-4 लैब देश ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शीर्ष लैबोरेट्री की श्रेणी में होगा। इस लैब को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयोगशाला के रूप में स्थापित करने के लिए डीआरडीई को न केवल शिक्षा और उद्योग जगत, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समन्वय पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। इस अवसर पर डीआरडीई ग्वालियर के निदेशक डॉ. मनमोहन परीडा भी शामिल थे।
भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डीआरडीई) में 11 से 13 नवंबर तक वायरोकॉन-2024 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन इंडियन वायरोलॉजिकल सोसाइटी (आईवीएस) द्वारा किया जा रहा है। इसका उद्घाटन ग्वालियर के तानसेन मार्ग स्थित डीआरडीई परिसर में होगा। इसमें देश-विदेश के 400 से ज्यादा वैज्ञानिक, शोधकर्ता, शोधार्थी शामिल होंगे। सम्मेलन में महामारी और जैव सुरक्षा से संबंधित जरूरी मुद्दों पर मंथन किया जाएगा।