भोपाल । नगरीय निकायों के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। महापौर, अध्यक्ष पद पर निर्वाचित प्रतिनिधि आसीन होकर अब नगर सरकार को चलाएंगे। चुनाव के दौरान बड़े-बड़े वादे उम्मीदवारों ने मतदाताओं से किए हैं। किंतु जिस तरीके की वित्तीय स्थिति नगर निगम, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों की है। उससे कर्मचारियों को भुगतान और जरूरी खर्चे करना भी नगरीय संस्थाओं के लिए संभव है। ऐसे में जो नई परिषद अस्तित्व में आ रही हैं। उनके लिए वित्तीय संकट से सामना करना बड़ा मुश्किल होगा।


चुंगी क्षतिपूर्ति घटने से वित्तीय स्थिति खराब
मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 में 378 नगरीय निकाय थे। सरकार चुंगी क्षतिपूर्ति के रूप में 324 करोड़ रुपए का अनुदान देती थी। इस राशि में से सरकार 21 फीसदी राशि पेंशन अंशदान और बिजली का कट जाता है। वहीं चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि 300 करोड़ रुपए सरकार ने कर दी है। नगरीय निकायों की संख्या 378 से बढ़कर 413 हो गई है। अब 300 करोड़ रुपए 413 नगरीय निकायों में वितरित होंगे। जिसके कारण नगरीय संस्थाओं को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को वित्तीय संकट से निपटना बड़ी चुनौती होगी।