• गणपति विसर्जन की बेला समीप आते ही आम लोगों के बीच विसर्जन की बात भी शुरू हो गई है


भोपाल । गणपति विसर्जन की बेला समीप आते ही आम लोगों के बीच विसर्जन की बात भी शुरू हो गई है। बहुतायत में यह धारणा जगह बना चुकी है कि पंचक लगने से पहले ही हवन-पूजन कर विसर्जन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए। ज्योतिषार्य सौरभ दुबे ने बताया, पंचक में भगवान श्रीगणेश सहित अन्य किसी देवता की प्रतिमा का विसर्जन अशुभ नहीं होता। बल्कि आम लोगों के बीच यह धारणा बन चुकी है कि पंचक लगने के पहले ही विसर्जन की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से पूरा कर लिया जाए। शास्त्रों में पंचक के दौरान शुभ कार्य के लिए कहीं भी निषेध का वर्णन नहीं है। कुछ कार्यों में ही इसके विचार की बात कही गई है।

पंचक के दौरान क्या है वर्जित
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मृत्यु होने पर शव का अग्नि संस्कार, दक्षिण दिशा में यात्रा, काष्ठ संचयन (लकड़ी काटना व एकत्रीकरण), तृण तोडऩा व एकत्रीकरण जैसे कार्यों को पंचक में करने से मना किया गया है।

पंचक में क्या नहीं है वर्जित
पंचक में देव पूजन व प्रतिष्ठा, गृह प्रवेश, प्रतिष्ठान का शुभारंभ, यज्ञोपवीत, वाहन क्रय करना, धार्मिक यात्राएं व शुभ कार्य वर्जित नहीं माने गए हैं।

पंचक के नक्षत्र
पंचक में जो नक्षत्र आते हैं उनमें धनिष्ठा तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक शामिल हैं। प्रत्येक माह में जब भी ये नक्षत्र आते हैं तो पंचक का प्रभाव होता है। विसर्जन तो भगवान के पूजन की प्रक्रिया है। धर्मशास्त्रों में उनके विसर्जन का कोई विधान ही नहीं है। जीवन से जुड़े कई शुभ मुहूर्त में पंचक के नक्षत्र शामिल किए गए हैं। पंचक कभी अशुभ नहीं होता। शवदाह में विशेष रूप से इसका विचार किया जाता है। जबकि आजकल यह लोकाचार में आ गया है। इस भ्रांति का निराकरण ज्योतिष के जानकार करते हैं फिर भी बढ़ती जा रही है।