अमेरिका ईरान-इजराइल में उलझा रहा. उधर जापान ने 24 जून को अपनी सैन्य ताकत को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. इसने पहली बार अपने क्षेत्र में मिसाइल की टेस्टिंग की. यह टेस्टिंग होक्काइडो द्वीप के शिजुनाई एंटी-एयर फायरिंग रेंज में की गई. ये टाइप-88 सरफेस टू शिप (Ship) पर अटैक करने वाली शॉर्ट डिस्टेंस मिसाइल है. जो जापान ने अपने को दुश्मनों से बचाने के लिए और चीन को घेरने के लिए टेस्ट की है.

जापान ने ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स की पहली आर्टिलरी ब्रिगेड ने इस एक्सरसाइज में हिस्सा लिया. जिसमें करीब 300 सैनिक शामिल थे. सैनिकों ने होक्काइडो के दक्षिणी तट से लगभग 40 किलोमीटर दूर एक मानवरहित नाव पर निशाना साधा. जापानी अधिकारियों ने बताया कि इस टेस्टिंग के परिणामों की जांच अभी जारी है.

स्वयं को मजबूत करने की स्ट्रैटेजी

यह टेस्टिंग ऐसे समय में हुई है, जब जापान अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने पर जोर दे रहा है. खास तौर पर चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को जवाब देने के लिए जापान स्ट्राइक-बैक क्षमता विकसित कर रहा है. इस साल के अंत तक जापान लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों, जैसे टॉमाहॉक्स को तैनात करने की योजना बना रहा है. जिससे चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.

पहले भी विदेशों में हो चुकी है टेस्टिंग

हालांकि यह जापान के क्षेत्र में पहली मिसाइल टेस्टिंग है. लेकिन इससे पहले जापान ने अपने रक्षा साझेदार देशों, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी मिसाइल टेस्टिंग की है. इस बार अपने क्षेत्र में टेस्टिंग कर जापान ने अपनी स्वतंत्र सैन्य ताकत को प्रदर्शित करने का प्रयास किया है. यह टेस्टिंग न केवल जापान की सैन्य तैयारियों को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और शक्ति संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है.

जापान ने रक्षा नीति बदली, डिफेंसिव से अटैकिंग का किया रुख

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम जापान की रक्षा नीति में बदलाव का संकेत देता है. जो अब डिफेंसिव से अटैकिंग रुख की ओर बढ़ रहा है. जापान की ये मिसाइल टेस्टिंग क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक ऐतिहासिक कदम है. आने वाले समय में जापान की सैन्य रणनीति और क्षेत्रीय समीकरणों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है.

कौन-सी है टाइप-88 मिसाइल

टाइप 88 सतह से जहाज तक मार करने वाली मिसाइल (SSM-1 ) एक ट्रक पर लगाई जाने वाली जहाज रोधी मिसाइल है. इसे साल 1980 के दशक के अंत में जापान की मित्सुबिशी हैवी इंडस्ट्रीज ने बनाया था. पहले यह मिसाइल हवा में लॉन्च होती थी, बाद में इसे जहाज से लांच करने की जाने वाली टाइप 90 (SSM-1B) मिसाइल के रूप में विकसित किया गया. इसमें कम रीलोड समय, कम लाइफ-साइकल कोस्ट और 200 किमी की सीमा भी है.