धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आश्विन मास को विशेष माह माना जाता है। आदि शक्ति मां दुर्गा को समर्पित इस माह में पूजा-पाठ और दान-धर्म के कार्य करने से पितरों का आशीर्वाद पाया जा सकता है। नवरात्र और विजयदशमी जैसे प्रमुख त्योहार भी इसी माह मनाए जाते हैं। इस माह में दान-धर्म के कार्य करना बहुत शुभ होता है।

इस माह को अधिकमास और पुरूषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस माह में सूर्य उपासना करें। इस माह में पितृ पूजन और देव पूजन किया जाता है। इस माह से सूर्यदेव धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं। शनि देव और तमस का प्रभाव बढ़ता जाता है। आश्विन मास में पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। ब्राह्राणों को भोजन कराना चाहिए। कहा जाता है कि अश्विन मास में दान-धर्म करने से दोगुने पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस माह में तिल और घी का दान करने से पुण्यफल प्राप्त होता है। अश्विन मास में मन और विचार की शुद्धता रखें। मन को शांत रखने का प्रयास करें। इस माह में नकारात्मक विचारों को त्याग देना चाहिए। इस माह मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। इस माह गुड़ का सेवन कर सकते हैं। आश्विन मास में दूध या दूध से बनी चीजों का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। इस माह करेला का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इस माह में शरीर को अच्छे से ढंककर रखना चाहिए। आश्विन मास में लहसुन, प्याज, तामसिक भोजन और सफेद तिल का सेवन भी नहीं करना चाहिए। लौकी, मूली या सरसों का साग खाने से भी बचना चाहिए। आश्विन माह को त्योहारों का महीना कहा जाता है, इसलिए इस माह अपने घर में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। इस माह में कन्याओं को फल, मिठाई, भोजन, वस्त्र आदि भेंट देनी चाहिए।इस माह विवाद, तनाव या मनमुटाव से दूर रहना चाहिए।