भोपाल  । नाबालिगों पर हो रहे अपराधों में शहर में कोई कमी नहीं आई है।बीते साल के मुकाबले चालू साल में नाबालिगों पर  दस फीसदी अपराध बढे हैं। राजधानी में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बावजूद नाबालिगों के प्रति होने वाले अपराधों में कमी नहीं आई है। पिछले साल नाबालिगों के अपहरण के 339 मामले दर्ज हुए थे, वहीं इस साल अभी तक यह संख्या 456 तक पहुंच गई है। इसी तरह से दुष्कर्म और छेड़खानी के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि आला अधिकारियों का कहना है कि उनकी प्राथमिकताओं में लापता बच्चों का पता लगाना है। पुलिस द्वारा संस्थाओं की मदद से गली-मोहल्लों में यौन हिंसा के प्रति जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। राजधानी में नाबालिगों के साथ 2021 में दुष्कर्म की घटनाएं 78 दर्ज की गई थीं। उसके बाद 2022 में जुलाई तक यह संख्या 86 के करीब पहुंची है। इसके अलावा छेड़खानी में भी 2021 के 70 मामलों से बढ़कर यह संख्या 88 के करीब पहुंच चुकी है। जबकि अभी चार माह का समय बाकी है। दिसंबर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद महिला अपराधों को लेकर खास तौर पर नाबालिग बच्चों को लेकर पुलिस लगातार सक्रिय हुई है। पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद महिला सेल में अलग से अधिकारियों को तैनात किया गया है और उसमें महिला शाखा में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों को तैनात कर रखा है। यह शाखा गली मोहल्लों में जागरूकता अभियान चला रही है। थाना स्तर पर शिविर आयोजित किए जाते हैं। इसमें थाना क्षेत्र के रहवासियों को बुलाया जाता है।सहायक पुलिस अधीक्षक महिला सुरक्षा निधि सक्सेना ने बताया कि लापता बच्चों को तलाशना पहली प्राथमिकता है। इसके अलावा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। जो बच्चे लंबे समय से लापता हैं उनकी तलाश की जा रही है। पुलिस समाजसेवी संस्थाओं की मदद से कालेज छात्रों की मदद से जागरूकता अभियान चला रही है। जैसे गुड टच और बैड टच के बारे में बताया जा रहा है।अभिभावक को अपने बच्चों को गलत और सही छूने के बारे में बताना चाहिए। बच्चों की दिनचर्या पर नजर रखना चाहिए कि वह कर क्या रहे हैं। टीवी, वीडियो गेम, मोबाइल पर निगरानी रखना चाहिए। दोस्तों पर नजर रखना चाहिए।