नदी में चलने वाली बस: दक्षिण कोरिया का नया समाधान, प्रदूषण पर होगा नियंत्रण
दुनिया में ट्रैफिक और पर्यावरण से बचने के लिए नए-नए आविष्कार किए जा रहे हैं. पर्यावरण बढ़ाने में बस, ट्रक, कार और बाइक का अहम योगदान है और दिन-बा-दिन सड़कों पर इनकी तादाद बढ़ती ही जा रही है. अब दुनिया में इस बढ़ती भीड़ से बचने के विकल्प आने शुरू हो गए हैं, जिसमें हवा में उड़ने वाली कार, पानी चलने वाली बस आदि आ रही हैं.
दक्षिण कोरिया ने नदी में चलने वाली बस का आविष्कार किया है. ये बस एल्युमिनियम मिश्र धातु से बने हैं. बस की वजह से प्रदूषण में गिरावट आएगी. बस के अंदर फ्राइड चिकन रेस्तरां और कॉफी शॉप जैसी सुविधाएं शामिल की गई है. इससे पहले ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता था, लेकिन दक्षिण कोरिया के इंजीनियरों ने इसको सच कर दिखाया है.
पूरी हुई टेस्टिंग
24 फरवरी को दक्षिण ग्योंगसांग प्रांत के साचेओन से रवाना हुई दो हान नदी बसें 27 फरवरी को हान नदी पर येओइदो के पास पहुंचीं और कोरिया स्ट्रेट और येलो सी (जिसे कोरिया में दक्षिण सागर और पश्चिम सागर कहा जाता है) के माध्यम से तीन दिवसीय परीक्षण यात्रा पूरी की. इनकी अधिकारिक लॉन्च होने तक इनका परीक्षण जारी रहेगा, ताकि किसी भी खतरे से निपटा जा सके.
पर्यावरण के लिए लाभदायक
ये नदी बसें पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, जो एल्यूमीनियम मिश्र धातु से बने हैं. शहर की सरकार के मुताबिक स्टील की तुलना में हल्के होने के वजह से ये कम ईंधन की खपत करती हैं और पुनर्चक्रणीय हैं. शहर प्रशासन ने कहा कि लिथियम-आयन बैटरी और डीजल जनरेटर से चलने वाले, जहाजों का कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पारंपरिक डीजल-संचालित जहाजों की तुलना में 52 फीसद कम होता है.
सियोल शहर की सरकार के अधिकारी पार्क जिन-यंग ने बसों के लिए कहा, “यह कोरिया के पहले पर्यावरण अनुकूल जल सार्वजनिक परिवहन के युग की शुरुआत है.” इसके अलावा ये बस फायर सेंसर और सुरक्षा उपकरणों से सुसज्जित हैं जो बैटरी में आग लगने से बचाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.