संसद के मॉनसून सत्र में आज लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो रही है. विपक्ष की ओर से सवाल उठाया गया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के कितने विमान गिरे हैं, जिसका जवाब देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चर्चा के दौरान दिया है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर क्यों शुरू किया गया, इसकी जानकारी पहले भी दी गई है और आज भी मैंने सदन को दी है. विपक्ष के कुछ लोग पूछते रहे हैं कि हमारे कितने विमान गिरे? मुझे लगता है उनका यह प्रश्न, हमारी राष्ट्रीय जनभावनाओं का सही से प्रतिनिधित्व नहीं कर पा रहा है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि विपक्ष ने एक बार भी हमसे यह नहीं पूछा कि हमारी सेनाओं ने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए? यदि उन्हें प्रश्न पूछना ही है, तो उनका प्रश्न यह होना चाहिए कि क्या भारत ने आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया, तो उसका उत्तर है हां, मैं विपक्ष से कहना चाहता हूं कि आपको प्रश्न पूछना है, तो यह प्रश्न पूछिए कि क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा, तो उसका उत्तर है हां.’

रिजल्ट मैटर करता है- राजनाथ सिंह
उन्होंने कहा, ‘आपको प्रश्न पूछना है तो यह प्रश्न पूछिए कि जिन आतंकियों ने हमारी बहनों, हमारी बेटियों का सिन्दूर मिटाया, क्या हमारी सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर में उन आतंकियों के आकाओं को मिटाया, तो इसका उत्तर है हां. लक्ष्य जब बड़े हों, तो अपेक्षाकृत छोटे मुद्दों पर हमारा ध्यान नहीं जाना चाहिए क्योंकि छोटे मुद्दों पर ही ध्यान देते रहने से देश की सुरक्षा और सैनिकों के सम्मान और उत्साह जैसे बड़े मुद्दों से ध्यान हट सकता है, जैसा कि विपक्ष के हमारे कुछ साथियों के साथ हो रहा है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘किसी भी परीक्षा के परिणाम में रिजल्ट मैटर करता है. यदि किसी परीक्षा में कोई बच्चा अच्छे मार्क्स लेकर आ रहा है, तो हमारे लिए उसके मार्क्स मैटर करने चाहिए. हमें इस बात का ध्यान नहीं रखना चाहिए कि एग्जाम के दौरान उसकी पेंसिल टूट गई थी या उसकी पेन खो गई. आखिरकार रिजल्ट मैटर करता है और रिजल्ट यह है कि ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान हमारी सेनाओं ने जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उन लक्ष्यों को हमने पूर्ण रूप से प्राप्त किया है.

हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है, न की युद्ध की- राजनाथ सिंह
उन्होंने कहा, ‘भारत हमेशा से पाकिस्तान सहित अपने पड़ोसी देशों से मित्रता और सहयोगपूर्ण संबंध का इच्छुक रहा हैं. इसके लिए भारत की सभी सरकारों ने ईमानदारी से प्रयास भी किए हैं. वह चाहे लाल बहादुर शास्त्री हों या अटल बिहारी वाजपेयी हों, मनमोहन सिंह हों, या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सभी ने हमेशा चाहा है कि इस इलाके में शांति और समृद्धि बनी रहें. यह बात हमारी सभ्यता के मूल्यों के साथ मेल खाती हैं. वर्ष 2015 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने लाहौर जाकर नवाज शरीफ से मुलाक़ात की, तो भारत ने फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया था. हम वाकई शांति की राह पर चलना चाहते थे क्योंकि हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है, न की युद्ध की.’

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘हमारी सरकार ने भी पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के अनेक प्रयत्न किए, लेकिन बाद में हमने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक से, 2019 बालाकोट में एयर स्ट्राइक से और 2025 के ऑपरेशन सिंदूर से हमने शांति स्थापित करने का दूसरा रास्ता अपनाया है. अब हमारे प्रधानमंत्री मोदी और हमारी सरकार का स्टैंड बिल्कुल क्लियर है कि आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं चल सकते हैं क्योंकि सभ्य मुल्कों के बीच बातचीत होती है.